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Section 12 : Special Marriage Act, 1954

This article is written by Krishnaraj Choudhary, Student of Dr. Anushka Law College Udaipur. The author in this article has discussed the Section 12 of Special Marriage Act, 1954

Section 12 : Special Marriage Act, 1954

लड़की भारत, लड़का अमेरिका में;  शादी ऑनलाइन

क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट का सेक्शन - 12, जिसमें है ऑनलाइन शादी की छूट 

वीडियो कॉल से शादी पर कोर्ट की मुहर

 दुल्हन भारत में और दूल्हा अमेरिका में, शादी हुई ऑनलाइन। आपको लग रहा होगा कि ये कोई कहानी है।
लेकिन नहीं, ऐसी शादी हुई भी है और इसकी इजाजत खुद हाईकोर्ट ने दी। ये मामला तमिलनाडु के कन्याकुमारी का है और इस मामले में फैसला मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने दिया है। 

ऑनलाइन या वर्चुअल शादी का कॉन्सेप्ट भले ही चौंकाने वाला लगे, लेकिन भारतीय कानून में इसकी इजाजत है। स्पेशल मैरिज ऐक्ट में ऑनलाइन मीडियम से शादी करने पर रोक नहीं है। 

क्या है पूरा मामला?
तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले की वासमी सुदर्शिनी को भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक राहुल मधु से प्यार हो गया। वे दोनों शादी करना चाहते थे। शादी के लिए राहुल भारत आया। फिर दोनों ने इसी साल 5 मई को कन्याकुमारी जिले के मनावलकुरिचि स्थित सब-रजिस्ट्रार के यहां स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत एक जॉइंट एप्लीकेशन दिया। 12 मई को एक नोटिस पब्लिश हुआ। राहुल के पिता और एक और व्यक्ति ने इस शादी को लेकर आपत्ति जताई थी। मैरिज ऑफिसर मामले की जांच से इस नतीजे पर पहुंचा कि उनकी आपत्तियां ठीक नहीं थीं। स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत 30 दिन का अनिवार्य पीरियड 12 जून को पूरा हो गया। लड़का और लड़की 13 जून को मैरिज ऑफिसर के सामने हाजिर हुए। लेकिन कुछ कारणों से ऑफिसर उस दिन शादी नहीं करवा पाया। फिर वीजा जरूरतों की वजह से तुरंत ही राहुल को अमेरिका लौटना पड़ा। 

 हाईकोर्ट के पास क्यों जाना पड़ा?

इसके बाद राहुल से ऑनलाइन शादी करने के लिए सुदर्शिनी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। सुदर्शिनी ने कोर्ट से अपनी अपील में कहा कि वह अथॉरिटीज को स्पेशल मैरिज ऐक्ट के सेक्शन 12 के तहत उनकी शादी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करवाने का आदेश दिया
हाईकोर्ट के फैसले की बड़ी बातें इस मामले की सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने भारत में मौजूद सुदर्शिनी और अमेरिका में मौजूद राहुल को ऑनलाइन शादी करने की इजाजत दे दी। हाईकोर्ट के जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट का सेक्शन 12 दोनों पक्षों को शादी के किसी भी स्वीकृत रूप को अपनाने का विकल्प देता है। इस मामले में दोनों पक्षों ने ऑनलाइन मीडियम चुना था। कोर्ट ने कहा कि दूल्हा ऑनलाइन उपस्थित रहेगा और स्पेशल मैरिज एक्ट में ऐसा करने पर रोक नहीं है । कोर्ट ने कहा कि शादी करने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।  

 स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 12 (2) में कहा गया है कि शादी दोनों पक्षों द्वारा चुने गए किसी भी माध्यम से हो सकती है। सुदर्शिनी और राहुल के मामले में ये माध्यम ऑनलाइन था। कोर्ट ने कहा कि कानून को टेक्नोलॉजी के साथ कदमताल मिलाकर चलना है, इसलिए कपल द्वारा चुना गया ऑनलाइन मोड से शादी का विकल्प कानूनी रूप से मान्य है। अदालत ने अथॉरिटीज को याचिकाकर्ता सुदर्शिनी की शादी राहुल मधु के साथ ऑनलाइन मोड के जरिए तीन गवाहों की मौजूदगी में कराने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि शादी के बाद याचिकाकर्ता मैरिज सर्टिफिकेट बुक में अपनी और दूल्हे राहुल दोनों की जगह हस्ताक्षर कर सकती हैं। इसके बाद अथॉरिटीज को स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 13 के तहत मैरिज सर्टिफिकेट जारी करना चाहिए। 

हाईकोर्ट के फैसले में जिक्र स्पेशल मैरिज एक्ट का सेक्शन - 12 क्या है?
स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के सेक्शन 12 में शादियों की जगह और माध्यम यानी वे किस तरह से की जाएंगी इसके बारे में बताया गया है ।

चलिए स्पेशल मैरिज एक्ट, सेक्शन 12 को जान लेते हैं...
(1) शादी मैरिज ऑफिसर के ऑफिस में, या वहां से उचित दूरी के अंदर ऐसे अन्य स्थान पर, जैसा कि दोनों पक्ष चाहें, या ऐसी शर्तों पर और अतिरिक्त फीस देकर की जा सकती है।

(2) शादी किसी भी रूप में की जा सकती है जिसे दोनों पक्ष चुनना चाहें। लेकिन ये शादी तब तक पूरी और दोनों पक्षों पर लागू नहीं होगी जब तक प्रत्येक पक्ष मैरिज ऑफिसर और तीन गवाहों की मौजूदगी में दूसरे पक्ष को समझ में आने वाली भाषा में, - "मैं, (...), (...) को अपनी वैध पत्नी (या पति) मानता हूं।" न कहे। मद्रास हाई कोर्ट ने सुदर्शिनी और राहुल की ऑनलाइन शादी को मान्यता स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन     12 (2) के इसी कानून के तहत दी है, जिसमें साफ कहा गया है कि लड़का और लड़की शादी के लिए जिस भी रूप को चाहें अपना सकते हैं। 

स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 4 के तहत 4 जरूरी शर्तें

  • शादी करने वाले दोनों लोगों में से किसी की भी पहले शादी न हुई हो। 
  • लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए। 
  • दोनों पक्ष शादी के लिए रजामंदी देने में मानसिक रूप से सक्षम हों। यानी वे वयस्क हों और अपने फैसले लेने में सक्षम हों। 
  • दोनों पक्ष वर्जित संबंधों के दायरे में न आते हों। यानी दोनों के बीच खून का रिश्ता न हो या गोद लेने का रिश्ता न हो। 

शादी के लिए मैरिज रजिस्ट्रार को देना होता है एप्लीकेशन दोनों पक्ष जिस क्षेत्र में पिछले 30 दिनों से निवास कर रहे हों, उस जिले के मैरिज रजिस्ट्रार को शादी के लिए एप्लीकेशन देना होता है।
इस एक्ट के सेक्शन 6 और 7 के अनुसार, शादी के एप्लीकेशन के बाद उसका नोटिस पब्लिश होता है और नोटिस के 30 दिन बाद शादी हो सकती है। बशर्ते इसे लेकर किसी ने आपत्ति न दर्ज कराई हो । जनवरी 2021 में दिए अपने एक फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कपल न चाहें तो शादी का पब्लिक नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इससे उनके मौलिक अधिकारों और निजता का उल्लंघन होता है। 30 दिन बाद शादी मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस में मैरिज ऑफिसर और तीन गवाहों की मौजूदगी में हो सकती है। कोर्ट ने किया पाकिस्तानी हनफी मुस्लिमों और सिंगापुर की शादियों का जिक्र मद्रास होई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए खासतौर पर सिंगापुर और पाकिस्तान के हनफी मुस्लिमों का उदाहरण दिया, जहां ऑनलाइन शादी की इजाजत है। 

 1. सिंगापुर ने कोरोना की वजह से ऑनलाइन शादी को दी मंजूरी मद्रास हाई कोर्ट ने सिंगापुर का हवाला दिया, जहां कोरोन की वजह से टेंपरेरी मेजर्स फॉर सोलेमनाइजेशन एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ मैरिजेस एक्ट, 2020 बनाया गया है। इस एक्ट में सिंगापुर में शादी के एलिजिबल कपल को रिमोट कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी यानी ऑनलाइन शादी करने और उसका रजिस्ट्रेशन कराने की इजाजत दी गई है। यहां तक कि कानूनी घोषणाएं भी ऑनलाइन ही की जा सकती हैं।
2. पाकिस्तान में हनफी मुस्लिमों में स्काइप पर शादी को मान्यता मद्रास हाईकोर्ट के जज ने कहा कि पाकिस्तान में हनफी मुस्लिमों को स्काइप पर यानी ऑनलाइन शादी की इजाजत है। इस्लाम में आमतौर पर निकाह यानी शादी ऑनलाइन करने पर रोक है। लेकिन कुछ मुस्लिम कुछ शर्तों के साथ ऑनलाइन शादी की इजाजत देते हैं।

दरअसल, इस्लाम में शादी के मान्य होने के लिए निकाह के ईजाब (प्रस्ताव) और उसे कबूल (स्वीकार) करने के लिए कम से कम दो गवाहों का शादी के समय मौजूद रहना जरूरी है। हनफी मुस्लिम ऑनलाइन शादी के लिए एक वैकल्पिक रास्ता अपनाते हैं। इसमें एक पक्ष दूसरे पक्ष के किसी व्यक्ति को दो गवाहों की मौजूदगी में अपनी ओर से शादी का प्रस्ताव रखने या स्वीकार करने के लिए प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त कर सकता है।

क्या आम लोगों की भी वीडियो कॉल वाली शादी वैध होगी?
देश में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत, वीडियो कॉल या ऑनलाइन शादी आम लोगों के लिए भी वैध है। यही बात सुदर्शिनी केस में मद्रास हाईकोर्ट ने भी कही है। लेकिन किसी के लिए भी ऑनलाइन शादी करने के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट में बताई पूरी
 कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है।

Written By - KR Choudhary

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