मां ने कहा- मटका छूने पर पीटा था
जालोर में दलित बच्चे की मौत पर बंटे पक्ष ; स्टूडेंट बोले - स्कूल में मटका नहीं
राजस्थान में जालोर के सुराणा गांव में सरस्वती बाल विद्या मंदिर की तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले 9 साल के बच्चे इंद्र मेघवाल की मौत बड़ा मुद्दा बन गई है। पूरा मामला दो पक्षों में बंट गया है। दैनिक भास्कर की टीम ने ग्राउंड पर जाकर सभी पक्षों से बात की। बातचीत में घटना को लेकर दोनों पक्षों की अलग-अलग थ्योरी सामने आई है।
एक पक्ष का कहना है कि मटका छूने पर टीचर छैलसिंह ने इंद्र को इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई। दूसरा पक्ष तर्क दे रहा है कि स्कूल में कोई मटका ही नहीं है। एक टैंक (पानी की टंकी) है, जिससे सभी पानी पीते हैं। एक तर्क ये भी है कि इंद्र और एक अन्य बच्चा चित्रकला की किताब को लेकर लड़ रहे थे। इस पर टीचर छैलसिंह ने दोनों को चांटा मारा था।
सुराणा गांव में मेरी टीम ने बच्चे के घरवालों, टीचर्स, साथ पढ़ने वाले स्टूडेंट्स और गांव वालों से बात की।
मां बोली- बेटे ने बोला था कि टीचर ने मटकी से पानी पीने पर मारा : स्कूल से पांच किलोमीटर दूर इंद्र मेघवाल का घर है। कच्चे रास्ते से होकर हम वहां पहुंचे। वहां प्रशासन के अमले के साथ गांव वालों का हुजूम था । खेत में स्थित घर में इंद्र की मां और दादी से मिले तो दोनों फूट-फूटकर रोने लगीं। मां पवनी से जब उस घटना के बारे में बात की तो उन्होंने कहा- उस दिन जब इंद्र स्कूल से घर लौटा तो मुझे बताया था कि टीचर की मटकी से पानी पीने पर उसे पीटा गया है।
उस दिन जब इंद्र स्कूल से घर लौटा तो मुझे बताया था टीचर की मटकी से पानी पीने पर टीचर ने उसे पीटा है। - पवनी देवी, मां
मां ने बताया वह कभी स्कूल नहीं गई। उसने स्कूल की पानी की व्यवस्था भी नहीं देखी। पिछले 3 साल से उसका बेटा स्कूल जा रहा था, लेकिन पहले कभी ऐसी शिकायत नहीं आई। उनके घर के और भी बच्चे उसी स्कूल में जाते हैं।
इंद्र का बड़ा भाई नरेश पांचवीं में पढ़ता है। नरेश और इंद्र साथ स्कूल जाते थे। नरेश ने बताया कि उस दिन वो अपनी कक्षा में था। लंच के बाद इंद्र ने उसे कहा कि टीचर ने उसे पीटा है। उसने अपने पिता को घटना बताई। उस दिन के बाद से वह बीमार हुआ और स्कूल नहीं गया।
ये कह रहे मटके से पानी पीने पर मारपीट की बात झूठ पड़ोसी : बच्चे के कान में पहले से परेशानी थी इंद्र के पड़ोसी गंगा सिंह ने बताया कि दो साल से इंद्र का परिवार हमारे पड़ोस में रह रहा है। उसके कान में कोई दिक्कत थी। रस्सी (मवाद) जैसी चीज आ रही थी। इलाज चल रहा था। स्कूल के सामने दुकान चलाने वाले इंद्रराज ने कहा कि कई वर्षों से छैल सिंह सर को देख रहा हूं। कभी कोई भेदभाव नहीं रखा। पन्द्रह साल से दुकान चला रहा हूं। कभी ऐसी शिकायत नहीं देखी।
दो तीन महीने से उसके कान से रस्सी आ रही थी। हमेशा साथ बैठते थे। मेरा सिर्फ इंद्र ही दोस्त था। - राजेंद्र, इंद्र का का दोस्त
दोस्त : चित्रकला की किताब को लेकर हुई थी लड़ाई मेरी टीम इंद्र के स्कूल पहुंची और उसके साथ पढ़ने वाले बच्चों से बात की। इंद्र के साथ पढ़ने वाले और उसके दोस्त राजेंद्र ने बताया कि दो-तीन महीने से उसके कान से रस्सी आ रही थी। हमेशा साथ बैठते थे। मेरा सिर्फ इंद्र ही दोस्त था। मैंने उससे चित्रकला की कॉपी मांगी तो उसने मना कर दिया।
राजेंद्र ने बताया - 'मैंने कहा कि टीचर से शिकायत करूंगा तो उसने झगड़ा किया। फिर टीचर ने हम दोनों को एक-एक चांटा लगाया था। उस दिन के बाद से वह स्कूल नहीं आया।
गांव वाले बोले: गलत बात फैलाई जा रही है
टीचर / स्टूडेंट बोले- स्कूल में किसी तरह का भेदभाव नहीं - स्कूल के टीचर अशोक जीनगर ने बताया 2004 से यह स्कूल चल रहा है। यहां 60 दलित बच्चे हैं। कभी ऐसा मामला नहीं हुआ। स्कूल में सभी साथ पढ़ते हैं। स्कूल के पुराने स्टूडेंट अर्जुन ने बताया कि 2005 से 2013 तक मैंने यहीं पढ़ाई की। कभी ऐसा भेदभाव नहीं देखा। यह गलत बात फैलाई जा रही है। गांव के हितेश का कहना है कि 18 साल से स्कूल चल रहा है। मेरे पोते यहां पढ़ते हैं। टीचर बहुत अच्छे व्यवहार के हैं। यहां दलित और अन्य वर्ग सभी परिवार की तरह रहते हैं। - खंगाराराम मेघवाल ने बताया स्कूल में दलित टीचर भी हैं। उनके बच्चे भी यहां पढ़ते हैं। कभी कोई शिकायत नहीं आई।
बच्चों के पेरेंट्स बोले- पानी के लिए सिर्फ एक टैंक है स्कूल में मौजूद टीचर ने भास्कर टीम को दिखाया कि पानी के लिए स्कूल के अंदर और बाहर एक-एक टैंक बना हुआ है। सभी उसी टैंक से पानी पीते हैं। अलग से कोई मटका नहीं रखा हुआ है। एक पेरेंट हरि सिंह ने बताया कि मेरे तीन बच्चे यहां पांच साल से पढ़ रहे हैं। मैं बच्चों को छोड़ने आता हूं और लेने भी आता हूं। यहां मैंने कभी नहीं देखा कि ऐसा कोई बर्ताव टीचर ने किया हो। हम भी यहां आते हैं तब पानी इसी टांके से पीते हैं। प्रिंसिपल के रूम में भी कभी अलग मटकी नहीं बच्चे स्कूल आने से डरने लगे मेरी टीम गांव के सरस्वती बाल विद्या मंदिर स्कूल पहुंची तो वहां कुछ बच्चे खेल रहे थे। स्कूल के टीचर को सायला थाने बुलाया गया था। इसलिए टीचर वहां रवाना हो गए। स्कूल के भीम सिंह ने बताया कि घटना के बाद से कम ही बच्चे आ रहे हैं। गांव वालों का कहना था कि बच्चों में डर बैठ गया है। दो दिन से पुलिस यहां डेरा डाले है। तीसरी कक्षा के बच्चे तो स्कूल ही नहीं आ रहे। स्कूल में 300 बच्चे हैं, लेकिन अभी 50 बच्चे ही आए हैं। पुलिस ने सोमवार को बच्चों से पूछताछ की थी। ऐसे में परिजन बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे।
टीचर को पकड़ लिया है। मटकी वाली बात की अभी पुष्टि नहीं हुई है। - हर्षवर्धन अग्रवाल SP. जालोर
जालोर विधायक ने भी सवाल उठाए जालोर विधायक ने भी सवाल उठाए जालोर से भाजपा विधायक जोगेश्वर गर्ग ने इस मामले में सवाल उठाए हैं। इनका कहना है कि जिस स्कूल में घटना हुई, वो प्राइवेट है। इसमें दो पार्टनर हैं। एक राजपूत और एक मोची। वहां के स्टाफ में आधे से ज्यादा टीचर एससी-एसटी के हैं। मेघवाल, मोची और भील भी हैं। ऐसे में स्टाफ के बीच अलग-अलग पीने के बंदोबस्त तो हो नहीं सकते। मेरे हिसाब से अभी हमें जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। वर्तमान में राजनीति के लिए ऐसा होना प्रतीत हो रहा है।
मेरी जानकारी के अनुसार जिस स्कूल में घटना हुई उस प्राइवेट स्कूल में दो पार्टनर हैं। एक राजपूत और एक मोची है। - जोगेश्वर गर्ग बीजेपी विधायक
पुलिस की थ्योरी क्या कहती है... जालोर के एसपी हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि मर्डर और SC-ST एक्ट में मामला दर्ज कर लिया गया है। टीचर को हिरासत में लिया गया है। मटकी वाली बात की अभी पुष्टि नहीं हुई है। स्कूल में पानी की एक बड़ी टंकी है, वहीं सारे लोग पानी पीते हैं। ऐसी जानकारी सामने आई है। स्कूल में पढ़ाने वाले SC टीचर ने भी यही बात बताई है।
आरोपी शिक्षक ने कहा- बच्चे आपस में झगड़ रहे थे, एक थप्पड़ मारा था आरोपी हेड मास्टर छैल सिंह ने कहा- 'बच्चे आपस में झगड़ रहे थे। इस पर मैंने एक थप्पड़ मारा था। बच्चे के कान में रस्सी आने की समस्या थी। इस दौरान बच्चे के मटके से पानी छूने से पिटाई के आरोपों से उन्होंने इनकार कर दिया।
बच्चे आपस में झगड़ रहे थे। इस पर मैंने एक थप्पड़ मारा था। - छैल सिंह आरोपी
पूरा मामला समझिए... 24 दिन तक इलाज के बाद हुई मौत जालोर के सुराणा गांव में सरस्वती बाल विद्या मंदिर की तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले 9 साल के बच्चे इंद्र मेघवाल का 24 दिन से अहमदाबाद में इलाज चल रहा था। दो दिन पहले उसकी मौत हो गई। पिता ने आरोप लगाया कि 20 जुलाई को उनके 9 साल के बेटे ने पानी की मटकी छ ली थी। इसके बाद हेड मास्टर छैल सिंह ने इतनी पिटाई की थी, इससे उसकी हालत गंभीर हो गई।
- बच्चे का पहले उदयपुर और फिर अहमदाबाद में इलाज कराया गया, लेकिन बचाया नहीं सका।
- छात्र की मौत के बाद पुलिस ने एससी-एसटी एक्ट में मामला दर्ज कर छैल सिंह को गिरफ्तार कर लिया।
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