तीन सरकारी डॉक्टरों पर 19 लाख रुपए का जुर्माना: गर्भवती, दो बच्चों की मौत के दोषी; कोर्ट बोला-दर्द शब्दों में लिखना असंभव
डॉक्टरों को प्रेग्नेंट महिला और उसके दो बच्चों की मौत को दोषी मानते हुए कोर्ट ने उन पर जुर्माना लगाया है। अपनी टिप्पणी में जज ने लिखा कि- दर्द के वह साढ़े तीन घंटे प्रसूता और बच्चों ने कैसे काटे होंगे और परिवार को कितनी पीड़ा हुई होगी।
मामला धौलपुर के जिला सेशन और सत्र न्यायालय का है।
गुरुवार को करीब पांच साल पुराने एक केस में जज रीटा तेजपाल ने फैसला सुनाया, जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है। धौलपुर जिला अस्पताल से जुड़े इस केस में तीन डॉक्टरों पर करीब 19 लाख 70 हजार रुपए का जुर्माना लगा है।
पीड़ित पक्ष के वकील राहुल दुबे ने बताया कि केस वर्ष 2017 का है। जिले के बसेड़ी थाना क्षेत्र के रतनपुर की रहने वाली प्रीति पत्नी रविंद्र सिंह की ग्वालियर ले जाते समय मौत हो गई थी। वह प्रेग्नेंट थी और डॉक्टरों की लापरवाही कारण् जान गई थी।
एक जीवित बच्चे और पिता का भी जीवन खराब
इस केस में कोर्ट ने यह भी माना है कि इस मामले में एक जीवित एक बच्चे से भी मां छिन गई, जबकि प्रकृति की व्यवस्था है कि छोटे बच्चे का लालन-पालन मां के द्वारा ही किया जाता है। इसलिए प्रसूता प्रीति और 2 नवजातों की मौत के साथ 1 साल के मासूम और उसके पिता का जीवन खराब हो गया।
महिला के इलाज में डॉक्टरों की लापरवाही पीड़ित पक्ष के वकील प्रीति को प्रसव कराने के लिए जिला अस्पताल लाया गया था। जहां इमरजेंसी में तैनात डॉ. अनुज गुप्ता ने महिला की हालत खराब होने के बाद भी किसी विशेषज्ञ डॉक्टर को सूचना नहीं दी। इमरजेंसी डॉक्टर ने उसे सीधे मैटरनिटी वार्ड में भेज दिया।
करीब 3 घंटे बाद महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
जिला अस्पताल में सुबह 8 बजे तक दर्द से तड़पती महिला को सुबह साढ़े 8 बजे डॉक्टरों ने ग्वालियर रेफर कर दिया। जहां रास्ते में महिला और उसके पेट में दोनों नवजात शिशुओं की मौत हो गई।
वकील ने बताया कि परवादी रविंद्र सिंह ने सिविल नेचर में जिला सेशन एवं सत्र न्यायालय में अपील की थी। मामले में कोर्ट ने धारा 1(a) घातक दुर्घटना अधिनियम के तहत तीनों डॉक्टरों को लापरवाही के लिए जिम्मेदार माना है।
क्या कहती है धारा 1(a) घातक दुर्घटना अधिनियम - यदि मृत्यु किसी गलत कार्य, उपेक्षा या चूक के कारण होती है जो कि (यदि मृत्यु नहीं हुई होती) घायल व्यक्ति को कार्रवाई करने और उसके संबंध में हर्जाना वसूल करने का हकदार होता, तो वह व्यक्ति जो मृत्यु के समय उत्तरदायी होता घायल व्यक्ति की मृत्यु के बावजूद, क्षति के लिए कार्रवाई के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।
कोर्ट ने डॉक्टर आरडी गर्ग, डॉ. अनुज गुप्ता और तत्कालीन पीएमओ पर जुर्माना लगाया है। न्यायाधीश रीटा तेजपाल ने महिला के पति रविंद्र सिंह को 6 फीसदी ब्याज के साथ जुर्माना राशि देने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने समझा दर्द
पीड़ित परिवादी रविंद्र सिंह ने जिला सेशन एवं सत्र न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। रविंद्र सिंह ने कहा कि उनके दर्द को कोर्ट ने समझा है। जिनके फैसले का पूरा परिवार सम्मान करता है। महिला के पति ने बताया कि अब वह अपने बच्चे का लालन पोषण अच्छी तरह कर सकेगा।
Written By - KR Choudhary
2 टिप्पणियाँ
nice Judgement
जवाब देंहटाएंSuper
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