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80 लाख के लिए पुलिस ने कुत्ते को जीप बताया : 10 साल बाद कोर्ट सुनाने वाला था फैसला, 5 मिनट पहले सामने आया सच

80 लाख के लिए पुलिस ने कुत्ते को जीप बताया : 10 साल बाद कोर्ट सुनाने वाला था फैसला, 5 मिनट पहले सामने आया सच

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राजस्थान में एक अनोखा केस सामने आया है, जो कुछ हद तक जॉली LLB फिल्म की तरह है। फिल्म में डिफेंस लॉयर राजपाल अपने क्लाइंट को हिट एंड रन केस में बचाने के लिए साबित कर देते हैं कि जिस गाड़ी से एक्सीडेंट हुआ वो लैंड क्रूजर नहीं ट्रक था।

राजस्थान में भी कुछ ऐसा ही हुआ। राजस्थान पुलिस ने 10 साल पुराने एक केस में कुत्ते को मार्शल गाड़ी साबित कर दिया। दरअसल, सारा खेल 80 लाख रुपए के बीमा क्लेम के लिए था। बीमा कंपनी ने अपने स्तर पर की शुरुआती जांच के बाद ही फर्जीवाड़े के आरोप लगा दिए थे।

इसका नतीजा यह हुआ कि पुलिस की मिलीभगत दस साल पहले सफल नहीं हो सकी। इसके बाद भी पुलिसवाले 10 साल तक चले केस की तारीखों में लगातार इस बात के फर्जी सबूत देते रहे कि यह एक्सीडेंट मार्शल गाड़ी से ही हुआ था। लेकिन एपीपी (सहायक लोक अभियोजक) की आखिरी मिनट की याचिका ने पूरा केस बदल दिया। अब केस की नए सिरे से सुनवाई होगी, बंद होगा या पुलिस और मिलीभगत करने वालों पर कोई कार्रवाई होगी, ये अदालत तय करेगी। मामले की आखिरी सुनवाई 21 सितंबर को हुई।

पढ़िए- पुलिस ने कैसे और क्यों एक कुत्ते को मार्शल गाड़ी साबित किया और 10 साल बाद कैसे  सामने आया सच?

10 साल पहले दर्ज हुआ रोड एक्सीडेंट में डेथ का केस

10 अगस्त 2011 की बात है। उदयपुरवाटी (झुंझुनूं) के छापोली के रहने वाले दिनेश कुमार पुत्र बंशीधर ने मामला दर्ज कराया कि सुबह नौ बजे उसका भाई रमेश रोहिला पुत्र बंशीधर सीकर से चिराना बाइक लेकर जा रहा था।

सूचना मिली कि रास्ते में रामपुरा रोड पर बस स्टैंड के पास किसी अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी। उसकी मौके ने पर ही मौत हो गई। रमेश रोहिला चिराना की सीएचसी में मेल नर्स था। दादिया पुलिस ने मुकदमा नंबर 288/11 पर आईपीसी 279,304ए में दर्ज कर जांच कर शुरू दी गई ।

पहली जांच : बाइक के सामने कुत्ता आने से एक्सीडेंट

दादिया थाने में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद ASI हरिसिंह ने जांच की। पोस्टमार्टम करवाने के बाद मौके की रिपोर्ट तैयार की गई। मौके पर पहुंचकर गवाहों के बयान लिए ।

बयानों में सामने आया कि रमेश रोहिला 10 अगस्त 2011 को सुबह 9 बजे सीकर से उदयपुरवाटी साइड से बाइक नंबर आरजे 02- 10एम 3190 लेकर जा रहा था। रामपुरा बस स्टैंड से करीब 100 कदम पहले रघुनाथगढ़ की साइड में पहुंचने पर सामने कुत्ता आ गया। कुत्ते को बचाने की कोशिश में रमेश सड़क पर गिर गया और उसके सिर में काफी चोट लगी। उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

108 एंबुलेंस पहुंची तो मौत होने के कारण कर्मचारियों ने शव ले जाने से मना कर दिया। ग्रामीणों ने शव सड़क पर रखकर जाम लगा दिया। दादिया पुलिस ने सड़क जाम करने पर मुकदमा नंबर 117/2011 दर्ज किया। एएसआई हरिसिंह ने जांच में बाइक के कुत्ते के सामने आने पर एक्सीडेंट मानते हुए FR लगा कर कोर्ट में 17 नवम्बर 2011 को पेश कर दी।

दूसरी जांच : मार्शल गाड़ी के कारण हुआ एक्सीडेंट
कोर्ट में FR पेश होने के बाद पीड़ित पक्ष ने जांच अधिकारी बदलकर दोबारा निष्पक्ष जांच कराने की अपील की। तब दादिया थाने में पोस्टेड ASI बनवारीलाल को जांच सौंपी गई। ASI बनवारीलाल ने दोबारा घटनास्थल पर जाकर मौका मुआयना कराया।

इसके बाद पीड़ित पक्ष के कहने पर ही उन्होंने गवाह तैयार लिए। उन्होंने जांच रिपोर्ट में आरजे-21 यू-0392 नंबर की मार्शल गाड़ी से एक्सीडेंट होना दिखाया।

एएसआई बनवारीलाल ने नागौर आरटीओ व झुंझुनूं से गाड़ी का रिकॉर्ड निकलवाया। गवाहों के बयान रिकॉर्ड किए गए। मार्शल चालक सुभाषचंद को नोटिस दिए गए।

चालक सुभाषचंद (22) पुत्र महलाराम बलाई निवासी बासड़ी, मालसीसर को एक्सीडेंट में आरोपी माना। तत्कालीन SI मदनलाल कड़वासरा से 25 फरवरी 2014 को चालान पेश करने के आदेश लिए। फिर कोर्ट में 28 अप्रैल 2014 को आईपीसी 279, 304ए में चार्जशीट नंबर 31 पेश कर दी।

बीमा कंपनी ने CID जयपुर में लगाई याचिका
मार्शल गाड़ी से एक्सीडेंट होने की बात सामने आने पर बीमा कंपनी ने एडीजी CID CB के पास याचिका पेश की। बीमा कंपनी ने बताया कि इंश्योरेंस क्लेम उठाने के लिए अकस्मात हादसे को एक्सीडेंट में बदलने की कोशिश की जा रही है।

बीमा कंपनी ने किसी सीनियर पुलिस अधिकारी से दोबारा से पूरी जांच करवाने की मांग की। एडीजी सीआईडी सीबी ने फर्जी क्लेम उठाने के लिए घटना को बीमा कंपनी की याचिका के आधार पर सीकर एसपी को जांच करवाने के लिए पत्र भेजा गया। तब डीएसपी ग्रामीण आरपीएस अयूब खां को जांच दी गई।

तीसरी जांच : किसी गवाह ने मार्शल गाड़ी बताई, किसी ने बताया कुत्ता
DSP अयूब खां ने सीकर SP के आदेश मिलने के बाद फर्जी क्लेम के मामले की जांच शुरू की। उन्होंने गवाह कालूराम, मनोज कुमार, महावीर सिंह, हरिलाल, दुर्गाप्रसाद व दिनेश कुमार को दोबारा बयान देने के लिए बुलाया।

हरिलाल व दुर्गाप्रसाद ने पहले के दिए बयानों के आधार पर ही कुत्ते से एक्सीडेंट बताया, लेकिन एएसआई बनवारीलाल ने मार्शल गाड़ी से एक्सीडेंट होना बता दिया था। दोनों खुद के ही बयानों को पलटते रहे।

कालूराम व मनोज कुमार से पहले बयान नहीं हुए उन्होंने एएसआई बनवारीलाल के समक्ष मार्शल से एकसीडेंट होने की बात कहीं। इन दोनों गवाहों को बाद में सेटिंग कर तैयार किया गया था। यही वजह है कि दोनों घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सके। महावीर सिंह ने पहली और तीसरी जांच में कुत्ते से एक्सीडेंट होने की बात कही। महावीर सिंह से एएसआई बनवारी ने कोई बयान नहीं लिए,क्योंकि वह अपने बयानों को पलटना नहीं चाहता था।

डीएसपी अयूब खां ने जांच करने के बाद सीकर एसपी को 19 जून 2018 को जांच रिपोर्ट सौंप दी। लेकिन तब से सीकर एसपी ऑफिस में ही जांच पड़ी रही। जांच को कोर्ट में पेश नहीं किया गया।

थानाधिकारी भूल गए कुत्ता था या गाड़ी ?
घटना के समय दादिया में थानाधिकारी भंवरलाल थे। हादसे की सूचना मिलने पर वे मौके पर पहुंचे थे। शव नहीं उठाने पर लोगों ने प्रदर्शन भी किया था। मामला शांत होने के बाद वे थाने लौटे और रोजनामचे की रिपोर्ट में लिखा कि कुत्ते के सामने आने पर हादसा हुआ। बाइक को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा। जबकि बाद में एसआई मदनलाल कड़वासरा ने जांच बदलवा कर फर्जी क्लेम के लिए एएसआई बनवारीलाल के साथ मिलकर कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी।

फिल्मों की तरह जजमेंट से 5 मिनट पहले आया ट्विस्ट

सीकर के कुडली कोर्ट में चार्जशीट पेश होने के बाद न्यायिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। कोर्ट में सारे बयान दर्ज कराए गए। सारे दस्तावेज भी पेश किए गए थे। कोर्ट ने प्रोसीडिंग पूरी होने के बाद मार्शल चालक को आरोपी मानते हुए फैसला देने की तैयारी कर ली थी।

फैसला सुनाने से 5 मिनट पहले ऐन वक्त पर एपीपी ने एक याचिका पेश कर दी। उन्होंने 5 साल पुरानी जांच का लेटर कोर्ट में पेश किया। जज ने बाद में याचिका लेने की बात कहीं तो एपीपी याचिका देने पर अड़ गई। तब जज को फैसला टालना पड़ा और याचिका को फाइल में लगाया।

अब तक 10 साल में 77 तारीखें
10 साल में अब तक कोर्ट में 77 तारीखें पड़ चुकी हैं। डीएसपी अयूब खां ने 2018 में जांच रिपोर्ट सौंप दी थी। पहले ही सही जांच हो जाती तो कोर्ट में 10 साल तक केस पेंडिंग नहीं रहता। कोर्ट में चालान पेश होने के बाद 2014 से अब तक करीब 6 जज बदले जा चुके है। जब चालान पेश हुआ था तब ग्रीष्मा शर्मा जज थीं। उनके बाद विनोद गिरी, अदिति कुलश्रेष्ठ, राहुल चौधरी, सरिता चौधरी, साजिद हुसैन, पायल अग्रवाल आ चुके हैं।

दोनों ASI हो चुके रिटायर
खास बात है कि जांच करने वाले दोनों ASI रिटायर हो चुके है। दोनों के बयान भी कोर्ट में रिटायर होने के बाद हुए थे। रिटायरमेंट होने पर वे सारा पैसा डिपार्टमेंट से ले चुके हैं। पहली जांच करने वाले एएसआई बजरंगलाल के बयान 61 साल की उम्र में रिटायरमेंट के बाद हुए थे। वहीं दूसरी जांचधिकारी एएसआई बनवारीलाल के बयान भी 19 अप्रैल 2017 को रिटायरमेंट होने के बाद दर्ज हुए थे।

सबसे बड़ा सवाल : आरोपी को क्या सजा मिलती
कुत्ते से एक्सीडेंट होने के बाद क्लेम के लिए फर्जी तरीके से मार्शल गाड़ी से एक्सीडेंट होना दिखाया गया। कोर्ट में अगर आरोपी को दोषी मान लिया जाता तो उसे 304ए में दो साल की सजा हो सकती थी। साथ ही कम से कम 1000 रुपए और ज्यादा से ज्यादा 5000 रुपए का  जुर्माना  लगाया

80 लाख के बीमा के लिए किया पूरा खेल
ये सारा खेल बीमा क्लेम के लिए खेला गया था। कुत्ते की टक्कर लगने से मरने वाला राहुल, सेकेंड ग्रेड नर्स था। ऐसे में पुलिस के साथ सेटिंग करके मार्शल गाड़ी दिखा दी गई। एवरेज के हिसाब से उसकी सैलरी 50 हजार रुपए थी।

घटना के समय उसकी उम्र 40 साल थी। जीवित होने पर वह 20 साल नौकरी करता। ऐसे में कोर्ट वेतन के हिसाब से बाकी बची हुई नौकरी का क्लेम मानता है। इसी आधार पर उसका क्लेम सवा करोड़ रुपए बनता है। हर महीने 10 हजार रुपए उसके खाने खर्च व अन्य के निकाल दें तो करीब 80 लाख रुपए क्लेम मिल सकता था।

ये था जॉली LLB मूवी वो सीन...
‘पिछले 8 महीने में राजपाल साहब ने लैंड क्रूजर को ट्रक बना दिया है। 6 महीने और ये केस चलेगा तो ये साबित कर देंगे कि वो ट्रक नहीं ट्रेन थी। एक साल और ये केस चलेगा तो राजपाल साहब ये साबित कर देंगे कि कटघरे में खड़ा ये शख्स सदाकांत मिश्रा नहीं शाहरूख खान है और लैक ऑफ एविडेंस के आधार पर आपको ये बात माननी पड़ेगी।'


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